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भारी पानी संयंत्र, कोटा राजस्थान के चित्तौरगढ़ जिले के रावतभाटा तहसील में कोटा रेलवे स्टेशन से 65 किमी की दूरी पर स्थित है । यह राजस्थान परमाणु ऊर्जा संयंत्र (आरएपीपी) और राणा प्रताप सागर झील से सटा हुआ है । संयंत्र को बिजली और स्टील की आवश्यकता के लिए आरएपीपी के साथ एकीकृत किया गया है । इसे 1985 में संचालित किया गया था | यह H2S-H2O विनिमय प्रक्रिया पर आधारित पहला संयंत्र है और इसमें भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और भारी पानी बोर्ड के घनिष्ठ संपर्क के साथ स्वदेशी रूप से विकसित पूरी तकनीक है ।
भारी पानी संयंत्र, कोटा की अवधारणा, डिज़ाइन और इंजीनियरिंग भापअके में पायलट प्लांट अध्ययन के आधार पर की गई थी । विकासात्मक कार्यों ने डिज़ाइन, इंजीनियरिंग, निर्माण और संचालन में कई नवीन अवधारणाओं को जन्म दिया, जिनमें से कई को भारत में पहली बार प्रयोग में लाया जा रहा था ।
भारत में धरातयील स्तर से लेकर मजबूत स्तर तक वास्तविक भारी पानी प्रौद्योगिकी विकास आत्मनिर्भरता का उदाहरण है । कोटा संयंत्र से प्राप्त अनुभव और विशेषज्ञता का उपयोग तेलांगना के मणुगुरु में दोगुनी क्षमता वाले संयंत्र की स्थापना के लिए किया गया । यह तकनीक भारतीय भारी पानी कार्यक्रम में एक गेम चेंजर साबित हुई, जिससे हमारा सदेश आत्मनिर्भर और सबसे बड़ा वैश्विक उत्पादक बन गया ।
यह एक आईएसओ-9001 (2015) एवं आईएसओ -14001 (2015) प्रमाणित संगठन है ।
पिछले 3.5 दशकों से संचालित यह संयंत्र उत्कृष्टता के पथ पर आगे बढ़ रहा है तथा उत्पादकता, पर्यावरण और सुरक्षा के क्षेत्र में नए मानक स्थापित कर रहा है ।
भापासं, कोटा का सुरक्षा प्रदर्शन रिकॉर्ड रासायनिक उद्योगों में सर्वश्रेष्ठ है तथा संयंत्र को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड, इंजीनियर्स संस्थान आदि से कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हुए हैं ।
भापासं, कोटा में स्वदेशी रूप से विकसित सौर ऊर्जा आधारित भाप जनरेटर स्थापित एवं संचालित किया गया है, जो प्रक्रिया उद्योग के लिए भारत में अपनी तरह का पहला अनुप्रयोग है ।
Last updated on: 13-Jun-2024