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भारी पानी बोर्ड (HWB), परमाणु ऊर्जा विभाग के तहत उद्योग और खनिज क्षेत्र की एक घटक इकाई है, जो भारी पानी (ड्यूटेरियम ऑक्साइड) और विशेष सामग्री जैसे समृद्ध बोरान, परमाणु ग्रेड सोडियम, अग्रांत एवं पश्चांत ईंधन चक्र आदि के लिए परमाणु विलायकों के उत्पादन द्वारा त्रिचरणीय भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का समर्थन करने के अधिदेश का पालन करती है।
भापाबो ने H2S-H2O बाई-थर्मल प्रक्रिया और NH3-H2 मोनो-थर्मल प्रक्रिया का उपयोग करके भारी पानी की जटिल उत्पादन तकनीक का विकास, प्रदर्शन, अनुकूलन और तैनाती की है। भारत दोनों प्रक्रियाओं के डिजाइन और संचालन में महारत हासिल करने वाला एकमात्र देश है। भापाबो ने जरूरत पड़ने पर अमोनिया आधारित भापासं के उर्वरक स्वतंत्र प्रचालन को प्राप्त करने के लिए पहली NH3 - H2O विनिमय प्रक्रिया को भी विकसित और करके इसे सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया है।
सन 1963 में भापअके (बीएआरसी) में प्रायोगिक संयंत्र से शुरू करते हुए अपने अधिदेश हासिल करने हेतु अब भारी पानी बोर्ड की भारत भर में 7 अलग-अलग इकाइयां हैं। भापाबो की यात्रा ने भारत को दुनिया में सबसे अच्छी गुणवत्ता वाले भारी पानी के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में स्थापित कर दिया है और यह न केवल भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के लिए इन-हाउस भारी पानी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बल्कि विभिन्न देशों को निर्यात भी कर रहा है।
उपरोक्त के अलावा, भारी पानी और ड्यूटेरियम के गैर-परमाणु अनुप्रयोगों के विकास और प्रचार के लिए भापाबो ने रास्ते खोल दिए हैं। जैव विज्ञान, अन्वेषण , पौष्टिक अध्यन, ऑप्टिकल फाइबर उद्योग, विश्लैषिक विज्ञान, फार्मास्यूटिकल्स में चिकित्सीय रसायन आदि के क्षेत्र में ये अनुप्रयोग बड़े पैमाने पर समाज को लाभान्वित करेंगे और भारत को मेक इन इंडिया अभियान में एक कदम आगे ले जाने में मदद करेंगे।
भापाबो के पास एक RCF, चेंबूर, मुंबई से सटे प्रौद्योगिकी प्रदर्श संयंत्र है जिसका नाम बदलकर अब मुंबई में भारी पानी बोर्ड सुविधाएं कर दिया गया है, जहां औद्योगिक स्तर पर लागू करने के लिए विभिन्न नई तकनीकों का परीक्षण, विकास और विस्तार किया जाता है।
वैश्विक मानकों को बनाए रखते हुए भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम और सामाजिक अनुप्रयोग के लिए विशेष सामग्री के उत्पादन में उत्कृष्टता प्राप्त करना।
Last updated on: 14-Jun-2023