कार्य एवं कर्तव्‍य एवं प्रक्रिया

भारी पानी संयंत्र, थल भारत में दूसरी पीढ़ी का पहला संयंत्र है और इसे पूरी तरह से स्वदेशी प्रयासों से बनाया गया है। भारी पानी बोर्ड के पास उपलब्ध विशाल तकनीकी संसाधनों और पहले के संयंत्रों के चालू होने और निरंतर प्रचालन से प्राप्त अनुभव का उपयोग संयंत्र की स्थापना के लिए किया गया था। यह महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के थल-वैशेट गांव में स्थित है और राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 17 पर मुंबई से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण में है। यह पनवेल-रोहा खंड के पेन रेलवे स्टेशन से लगभग 20 किलोमीटर दूर है। इस साइट कैटामरन सेवाओं द्वारा गेटवे ऑफ इंडिया, मुंबई से भी पहुंचा जा सकता है। भापासं, थल को 1987 में चालू किया गया था। संयंत्र की स्थापना एक प्रमुख कार्य था क्योंकि कई घटकों को पहली बार स्वदेशी रूप से विकसित किया जाना था। उनमें से कुछ विशेष टावर इंटरनल, डिब्बाबंद मोटर पंप, ग्लास सील, मास स्पेक्ट्रोमीटर, मल्टीलेयर जहाज आदि थे और इसमें भारी पानी बोर्ड द्वारा काफी पूर्व-परियोजना प्रयास शामिल थे।

संयंत्र पारंपरिक वायवीय एनालॉग प्रणाली के बजाय उपकरण और प्रक्रिया नियंत्रण के लिए माइक्रो-प्रोसेसर आधारित वितरित डिजिटल नियंत्रण प्रणाली का उपयोग करके नवीनतम तकनीक को अपनाता है। यह प्रणाली फ़ीड नियंत्रण स्टेशनों के लिए पर्यवेक्षी और निगरानी कार्य प्रदान करती है। यह प्लांट सिस्टम से प्राप्त डेटा को प्रदर्शित और रिकॉर्ड करता है और इसमें डेटा लॉगिंग और अलार्म संदेशों को प्रिंट करने की सुविधाएं हैं।

इस संयंत्र में दो स्ट्रीम शामिल हैं जिनमें संश्लेषण इकाई, उप-स्टेशन, अक्रिय गैस इकाई, उपकरण वायु इकाई, उत्प्रेरक तैयारी इकाई, कूलिंग टॉवर आदि जैसी कुछ सामान्य इकाइयाँ हैं।

परियोजना का समापन बिना किसी समय सीमा के सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है।

Last updated on: 14-Jun-2024